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बागेश्वर में रिश्वत लेते जिला सैनिक कल्याण अधिकारी गिरफ्तार

बागेश्वर में जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल डॉ. सुबोध शुक्ला को विजिलेंस टीम ने 50 हजार की रिश्वत...

नरेंद नगर स्थित सिद्ध पीठ मां कुंजापुरी में जल्द बनेगा रोपवे

52 सिद्धपीठों में से एक टिहरी जनपद के नरेंद नगर स्थित सिद्ध पीठ मां कुंजापुरी में अब आवागमन के लिए...

कृषि मंत्री गणेश जोशी से पद्मश्री डॉ. रजनीकांत की शिष्टाचार भेंट, जीआई टैग उत्पादों पर हुई चर्चा

प्रदेश के कृषि एवं ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी से आज हाथीबड़कला स्थित कैंप कार्यालय में...

सम्भागीय परिवहन कार्यालय,देहरादून अब चलाएगा जन जागरूकता अभियान

देहरादून का सम्भागीय परिवहन कार्यालय अब चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क के माध्यम से जन जागरूकता अभियान चलाने...

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने निजी विश्वविद्यालयों से पलायन रोकने में सहयोग करने का आह्वान किया

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने निजी विश्वविद्यालयों से प्रदेश में पलायन रोकने में सहयोग करने का आह्वान किया...

यमुनोत्री धाम में “स्वच्छ यमुना, निर्मल यमुना, अविरल यमुना” अभियान के तहत चलाया गया सफाई अभियान

क्षेत्राधिकारी यमुनोत्री / सहायक सेनानायक,SDRF श्री सुशील रावत के कुशल पर्यवेक्षण में “स्वच्छ...

भारतीय सेना ने पिथौरागढ़ में सामुदायिक रेडियो स्टेशन‘पंचशूल पल्स’ का किया उद्घाटन

रणनीतिक संचार, सांस्कृतिक संरक्षण और सीमावर्ती समुदायों के सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल...

जिलाधिकारी और एसएसपी देहरादून ने किया आईएसबीटी फ्लाईओवर का निरीक्षण

जिलाधिकारी देहरादून तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा आई0एस0बी0टी0 फ्लाई ओवर का भौतिक...

उत्तरकाशी में सवारियों से भरी बस पलटी, मची अफरा-तफरी

आज दिनांक 23 मई 2025 को जनपद उत्तरकाशी में समय लगभग 10:00 बजे थाना धरासू द्वारा SDRF पोस्ट...

30 सालों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति की कार्य योजना बनाई जाए – मुख्यमंत्री

आगामी 30 साल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य में जलापूर्ति के लिए कार्ययोजना बनाई जाए। वर्षा जल संरक्षण और भू जल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाएं। जल स्रोतों, नदियों और जल धाराओं के पुनर्जीवीकरण के लिए जन सहयोग लिया जाए और इस क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के सुझाव लेकर उनको आगे की कार्ययोजनाओं में शामिल किया जाए। पेयजल, जल संचय और जल संरक्षण के लिए आगामी 10 सालों और आगामी 30 सालों की आवश्यकताओं के हिसाब से अलग-अलग ठोस प्लान बनाया जाए। राज्य की अंतिम सीमा तक गंगा का जल पूर्ण रूप से पीने लायक हो इस दिशा में कार्य किये जाएं। गंगा की सहायक नदियों पर एसटीपी के कार्य किये जाएं। गंगा की स्वच्छता के लिए जनसहयोग और सुझाव लिये जाएं। ये निर्देश मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को सचिवालय में पेयजल और जलागम की बैठक के दौरान दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत लगे कनेक्शनों से लोगों को नियमित जलापूर्ति हो, इसके लिए पुराने जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के साथ ही नये जल स्रोत भी चिन्हित किये जाएं, जिससे गर्मियों में पेयजल की समस्या न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के स्टोरेज टैंक और पेयजल टेंकर की नियमित सफाई की जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में पेयजल की गुणवत्ता की समय-समय पर टेस्टिंग की जाए। गुणवत्ता के सभी मानक सही पाये जाने पर प्राकृतिक जल स्रोतों से निकलने वाले पानी के अधिक उपयोग के लिए लोगों को जागरूक किया जाए। लोगों को पेयजल की परेशानी न हो, इसके लिए टोल फ्री नम्बर के साथ ही जनपद स्तर पर कंट्रोल रूम भी बनाये जाएं। जन शिकायतों की विभाग स्तर पर नियमित मॉनिटरिंग भी की जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 05 साल से एक ही स्थान पर तैनात कार्मिकों की सूची उपलब्ध कराई जाए। नई पेयजल लाइन बिछने पर सड़क की खुदाई की शिकायतों के समाधान के लिए संबंधित विभागों द्वारा समन्वय बनाकर कार्य किये जाएं। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि कि विभिन्न विभागों की जिन परिसंपत्तियों का उपयोग नहीं हो रहा है, उनकी समीक्षा कर सही उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड रजतोत्सव वर्ष में प्रवेश कर गया है। इस युवा प्रदेश मे कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं। हमें नवाचारों और बैस्ट प्रैक्टिस पर विशेष ध्यान देना है, हमारा प्रयास होना चाहिए कि राज्य में कुछ ऐसी योजनाएं बने, जो अन्य राज्यों के लिए भी मॉडल बने। उत्तराखण्ड में सारा के तहत हो रहे कार्यों की भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय ने भी सराहना की है।

बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में जल सखी, जल पुनरुपयोग और पेयजल प्रबंधन पर विशेष फोकस किया जा रहा है। जल सखी में स्वयं सहायता समूह को जोड़ते हुए लोकल स्तर पर ही बिलिंग, बिल सुधार और योजनाओं के रखरखाव की योजना प्रस्तावित है। इसके साथ ही जल के बेहतर प्रबंधन के लिए एसटीपी से उपचारित जल को बागवानी, सिंचाई, औद्योगिक क्षेत्र, नर्सरी, कार धुलाई, कृषि आदि में उपयोग में लाया जाएगा। गंगा तथा उसकी सहायक नदियों का जल राज्य की अन्तिम सीमा तक ए श्रेणी में ही आगे प्रवाहित हो, इस दिशा मे कार्य किये जा रहे हैं।

सारा के अंतर्गत विभागों द्वारा मिलकर क्रिटिकल जल स्त्रोतों कों पुनर्जीवित करने का कार्य किया जा रहा है। वर्षा आधारित नदियों के फ्लो और डिस्चार्ज के मापन की भी योजना है। जिसमें आई आर आई रुड़की और राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजिक संस्थान नदियों में किए जाने वाले कार्यों को चिन्हित करेगा। उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना के अंतर्गत पर्वतीय कृषि को लाभदायक और ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव को कम करना है। इसके लिए कृषकों की बंजर भूमि में पौधारोपण किया जाएगा। साथ ही काश्तकारों को कार्बन क्रेडिट से फायदा देने की भी योजना है।

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