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लैब ऑन व्हील्स-मोबाइल साइंस लैब परियोजना के द्वितीय चरण का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में पढ रहे छात्र-छात्रओं को लैब...

चारधाम यात्रा पर उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा एवं सुविधा हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता -सीएम धामी

चारधाम यात्रा के लिए उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा एवं सुविधा को अपनी शीर्ष प्राथमिकता...

सेतु आयोग द्वारा राज्य की गोल्डन जुबली 2050 तक का विजन डॉक्यूमेंट बनाया जाए-मुख्यमंत्री

सेतु आयोग द्वारा राज्य की गोल्डन जुबली 2050 तक का विजन डॉक्यूमेंट बनाया जाए। आगामी 25 सालों में...

1149 प्राथमिक स्कूलों में नहीं एक भी शिक्षक , कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने किया तीखा वार !

ग्राम्य विकास और पलायन निवारण आयोग ने हाल ही में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में सुधार के लिए सर्वे...

लक्ष्मणसिद्ध नगर बालावाला में फूलदेई पर्व कार्यक्रम का आयोजन, डोईवाला विधायक बृज भूषण गैरोला ने किया प्रतिभाग

रविवार को डोईवाला विधायक बृज भूषण गैरोला ने डोईवाला विधानसभा क्षेत्र के लक्ष्मणसिद्ध नगर बालावाला...

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे भाजपा मुख्यालय, स्थापना दिवस के अवसर पर पार्टी कार्यालय में किया ध्वजारोहण

राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भाजपा मुख्यालय पहुंचे इस दौरान उन्होने पार्टी कार्यालय में...

विभागों द्वारा माह दिसम्बर तक बजट का 80 प्रतिशत तक खर्च किया जाए- मुख्यमंत्री

राज्य के समावेशी विकास के लिए नये संसाधन जुटाने की दिशा में प्रयास किये जाएं। विभागों द्वारा माह...

सचिव आपदा प्रबंधन ने ली विभागीय बैठक, दिए जरूरी दिशा-निर्देश

देहरादून। आगामी चारधाम यात्रा को लेकर उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अपनी तैयारी शुरू कर...

30 सालों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति की कार्य योजना बनाई जाए – मुख्यमंत्री

आगामी 30 साल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य में जलापूर्ति के लिए कार्ययोजना बनाई जाए। वर्षा जल संरक्षण और भू जल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाएं। जल स्रोतों, नदियों और जल धाराओं के पुनर्जीवीकरण के लिए जन सहयोग लिया जाए और इस क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के सुझाव लेकर उनको आगे की कार्ययोजनाओं में शामिल किया जाए। पेयजल, जल संचय और जल संरक्षण के लिए आगामी 10 सालों और आगामी 30 सालों की आवश्यकताओं के हिसाब से अलग-अलग ठोस प्लान बनाया जाए। राज्य की अंतिम सीमा तक गंगा का जल पूर्ण रूप से पीने लायक हो इस दिशा में कार्य किये जाएं। गंगा की सहायक नदियों पर एसटीपी के कार्य किये जाएं। गंगा की स्वच्छता के लिए जनसहयोग और सुझाव लिये जाएं। ये निर्देश मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को सचिवालय में पेयजल और जलागम की बैठक के दौरान दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत लगे कनेक्शनों से लोगों को नियमित जलापूर्ति हो, इसके लिए पुराने जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के साथ ही नये जल स्रोत भी चिन्हित किये जाएं, जिससे गर्मियों में पेयजल की समस्या न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के स्टोरेज टैंक और पेयजल टेंकर की नियमित सफाई की जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में पेयजल की गुणवत्ता की समय-समय पर टेस्टिंग की जाए। गुणवत्ता के सभी मानक सही पाये जाने पर प्राकृतिक जल स्रोतों से निकलने वाले पानी के अधिक उपयोग के लिए लोगों को जागरूक किया जाए। लोगों को पेयजल की परेशानी न हो, इसके लिए टोल फ्री नम्बर के साथ ही जनपद स्तर पर कंट्रोल रूम भी बनाये जाएं। जन शिकायतों की विभाग स्तर पर नियमित मॉनिटरिंग भी की जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 05 साल से एक ही स्थान पर तैनात कार्मिकों की सूची उपलब्ध कराई जाए। नई पेयजल लाइन बिछने पर सड़क की खुदाई की शिकायतों के समाधान के लिए संबंधित विभागों द्वारा समन्वय बनाकर कार्य किये जाएं। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि कि विभिन्न विभागों की जिन परिसंपत्तियों का उपयोग नहीं हो रहा है, उनकी समीक्षा कर सही उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड रजतोत्सव वर्ष में प्रवेश कर गया है। इस युवा प्रदेश मे कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं। हमें नवाचारों और बैस्ट प्रैक्टिस पर विशेष ध्यान देना है, हमारा प्रयास होना चाहिए कि राज्य में कुछ ऐसी योजनाएं बने, जो अन्य राज्यों के लिए भी मॉडल बने। उत्तराखण्ड में सारा के तहत हो रहे कार्यों की भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय ने भी सराहना की है।

बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में जल सखी, जल पुनरुपयोग और पेयजल प्रबंधन पर विशेष फोकस किया जा रहा है। जल सखी में स्वयं सहायता समूह को जोड़ते हुए लोकल स्तर पर ही बिलिंग, बिल सुधार और योजनाओं के रखरखाव की योजना प्रस्तावित है। इसके साथ ही जल के बेहतर प्रबंधन के लिए एसटीपी से उपचारित जल को बागवानी, सिंचाई, औद्योगिक क्षेत्र, नर्सरी, कार धुलाई, कृषि आदि में उपयोग में लाया जाएगा। गंगा तथा उसकी सहायक नदियों का जल राज्य की अन्तिम सीमा तक ए श्रेणी में ही आगे प्रवाहित हो, इस दिशा मे कार्य किये जा रहे हैं।

सारा के अंतर्गत विभागों द्वारा मिलकर क्रिटिकल जल स्त्रोतों कों पुनर्जीवित करने का कार्य किया जा रहा है। वर्षा आधारित नदियों के फ्लो और डिस्चार्ज के मापन की भी योजना है। जिसमें आई आर आई रुड़की और राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजिक संस्थान नदियों में किए जाने वाले कार्यों को चिन्हित करेगा। उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना के अंतर्गत पर्वतीय कृषि को लाभदायक और ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव को कम करना है। इसके लिए कृषकों की बंजर भूमि में पौधारोपण किया जाएगा। साथ ही काश्तकारों को कार्बन क्रेडिट से फायदा देने की भी योजना है।

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