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डेंगू रोकथाम को माइक्रोप्लान पर काम करें अधिकारीः डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री

प्रदेश में डेंगू रोकथाम के लिये जनपद स्तर पर माइक्रो प्लान तैयार कर कार्य करने के निर्देश अधिकारियों...

कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने डॉ. अम्बेडकर सम्मान सभा में किया प्रतिभाग, कहा- भाजपा सरकार में मिला बाबा साहेब को वास्तविक सम्मान।

कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने शुक्रवार को देहरादून भाजपा महानगर द्वारा आईआरडीटी सभागार में आयोजित...

नरेंद्र नगर क्षेत्र कोटेश्वर मंदिर के पास नदी में डूबी युवती, एसडीआरएफ ने चलाया सर्चिंग ऑपरेशन

दिनांक 18 अप्रैल 2025 को थाना नरेंद्रनगर द्वारा एसडीआरएफ टीम को सूचित किया गया की कोटेश्वर मंदिर के...

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने की कुंभ 2027 की तैयारियों की समीक्षा

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में कुंभ 2027 की तैयारियों के सम्बन्ध में बैठक...

मुख्यमंत्री ने खटीमा में 213 फीट ऊँचे राष्ट्रीय ध्वज की स्थापना के लिए किया भूमि पूजन।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को कंजाबाग तिराहे, खटीमा में स्थापित किए जा रहे 213 फीट...

परमवीर चक्र विजेताओं को उत्तराखंड सरकार द्वारा एक करोड़ 50 लाख रुपए की सम्मान राशि दी जाएगी।

मुख्यमंत्री श्री धामी नेकहा कि आज मैं, सेना में तो नहीं हूं परंतु वीर सैनिकों को अपना आदर्श मानकर...

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने डिजिटल फसल सर्वेक्षण एवं किसान पंजीकरण के सम्बन्ध में अधिकारियों की ली बैठक

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने बुधवार को सचिवालय में डिजिटल फसल सर्वेक्षण एवं किसान पंजीकरण के सम्बन्ध...

अधिकारी स्थानीय लोगों की समस्याओं का निस्तारण तत्परता से स्थानीय स्तर पर ही करे- सीएम धामी

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार को अपने कैम्प कार्यालय लोहिया हेड में जनता से मिले व उनकी...

कोटद्वार के निंबूचौड़ में विश्व गौरेया दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन

कोटद्वार के निंबूचौड़ में विश्व गौरेया दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने गौरेया संरक्षण पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गौरेया एक सामाजिक पक्षी है। जहां लोग बसावट करते हैं गौरेया भी वहीं अपना घोंसला बनाती है। गौरेया निर्जन स्थान या जंगलों में नहीं रहती है। आज पर्वतीय क्षेत्रों से लोगों के पलायन के साथ-साथ पक्षियों ने भी पलायन कर दिया है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी विजय जुयाल ने कहा कि गौरेया संरक्षण के लिए घोंसले बना कर निशुल्क वितरित करना सकारात्मक कदम है। इसके साथ ही उन्होंने चिन्ता भी जताई है कि, पर्वतीय क्षेत्रों से लोगों के पलायन के साथ साथ पक्षी भी पलायन कर रहे हैं। गांवों में भी गौरेया अब कम दिखाई देती हैं। कोटद्वार नंदपुर निवासी पक्षी प्रेमी दिनेश चन्द्र कुकरेती ने बताया कि वे अपने घर में लकड़ी अथवा प्लाईवुड से गौरेया सहित अन्य पक्षियों के लिए घोंसले बनाते हैं। अभी तक वे 25 हजार से अधिक घोंसले बनाकर उत्तराखण्ड के अतिरिक्त दूसरे प्रदेशों में भेज चुके हैं। किशनपुर निवासी पक्षी प्रेमी प्रणिता कंडवाल कहती हैं कि वह भी कुछ सालों से गौरेया को बचाने के लिए लकड़ी के घोंसले बना रही हैं। आज उनके घर में गौरेया के कई घोंसले हैं।

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