जनपद रुद्रप्रयाग में प्रचलित केदारनाथ धाम यात्रा सकुशल चल रही है। पहले नौ दिवसों में केदारनाथ धाम पहुंचे श्रद्धालुओं का आंकड़ा 2 लाख के पार पहुंच गया है। केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा में स्थानीय लोगों की आर्थिकी व आय का अहम साधन घोड़ा-खच्चर होते हैं। अश्ववंशीय पशुओं में फैले इक्वाइन इन्फ्लूएंजा नामक संक्रामक बीमारी के चलते पैदल मार्ग पर अश्ववंशीय पशुओं के संचालन पर एहतियातन रोक लगा दी गयी थी व इन बीमार पशुओं के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम सोनप्रयाग, गौरीकुण्ड क्षेत्र में तैनात हैं। कुछ हद तक पशुओं की इस बीमारी में कमी जरूर आयी है। आज कुछ अश्ववंशीय पशु (घोड़ा-खच्चर) को पैदल यात्रा में यात्रियों व जरूरी सामान इत्यादि लेकर जाने की अनुमति दी गयी है। इन पशुओं के यात्रा मार्ग में आवागमन करने के फलस्वरूप गौरीकुण्ड से केदारनाथ धाम तक की यात्रा का चिर-परिचित स्वरूप सामने आया है। घोड़े-खच्चरों के गले मे बंधी घंटियों की आवाज के साथ ही उन लोगों के चेहरों पर भी रौनक वापस आयी है जिनकी आजीविका का एकमात्र साधन ये घोड़े-खच्चर हैं।
गौरीकुण्ड से लेकर केदारनाथ धाम तक के पैदल मार्ग में पुलिस बल आवागमन कर रहे श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए तैनात है तथा आज प्रातः काल से 10वें दिवस की यात्रा सकुशल चल रही है। कुल मिलाकर यूं कहें कि केदारनाथ धाम तक पहुंचने के हरेक माध्यम यानि पैदल, डण्डी (पालकी), कण्डी (पिट्ठू), घोड़ा-खच्चर व हैलीकॉप्टर के माध्यम से यात्री केदारनाथ धाम दर्शनों के लिए जा रहे हैं।